नर्मदा से निकलने वाले शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहते है. नर्मदेश्वर शिवलिंग में समस्त ब्राह्मण की ऊर्जा समाहित है. जिसमे सृजन और नाश दोनों की शक्ति है. नर्मदेश्वर शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नही होती है. इसे सीधे नदी से निकाल कर घर या मंदिर में स्थापित किया जा सकता है नर्मदेश्वर शिवलिंग स्वयंम्भू होते है जिनकी पूजा करने से शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते है. नर्मदेश्वर शिवलिंग को शास्त्रों में बाणलिंग भी कहा जाता है.
- सबसे पहले प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करे
- शिवलिंग को स्थापित करने से पूर्व यह ध्यान रखे की शिवलिंग की वेदी का मुख सदैव उत्तर दिशा की तरफ ही होना चाहिए.
- शिवलिंग लेते समय यह ध्यान रखे की आप शिवलिंग किस स्थान पर स्थापित करना चाहते है अगर आप घर में स्थापित कारना चाहते है तो शिवलिंग हमेशा 6 इंच का ही रखे या अपने हाथ के अंगुठे के बराबर का शिवलिंग ही स्थापित करे
- सर्वप्रथम शिवलिंग पर जल चढ़ाए फिर दूध,दही,शंकर ,शहद (पंचामृत )से अभिषेक करे और फिर जल से अभिषेक करे
- शिवलिंग पर चन्दन ,चावल ,पुष्प और बेलपत्र चढ़ाएं.
- नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा करने के बाद भगवान भोले नाथ से हाथ जोड़कर प्राथना करे की भोले नाथ आप हम पर सदा अपना आशीर्वाद बनाये रखना नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर में स्थापित करने और पूजा अर्चना करने से सभी काष्ठो से मुक्ति मिलती है तथा घर में सुख शांति का वातावरण रहता है